Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi

रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय | Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi

ऐसा कहा जाता है की कवि या फिर रचनाकार अपने पंक्तियों के माध्यम से लोगो में परिवर्तन ला सकते है। और यें बात हर मायने में सही है। अपनी रचनाओ से परिवर्तन लाने वाले कवियों में से एक माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) है। इनके रचनाओ की चर्चा हर जगह होती है।

माखनलाल चतुर्वेदी उन विख्यात कविओ में से एक है जों अपनी रचना के साथ साथ देश की रचना अर्थात स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया।आज का हमारा लेख इन्ही के बारे में आपको जानकारी देगा।

Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi

इस लेख में हम माखनलाल चतुर्वेदी की जीवनी (Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi) के बारे में जानने वाले है। इसी के साथ इस लेख में हम उनके जन्म, उनका करियर, स्वतंत्रता में योगदान इत्यादि के बारे में भी बताएँगे। पूरी जानकारी के लिए इस लेख के साथ अंत तक जुड़े रहिये।

माखनलाल चतुर्वेदी की जीवनी – (Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi)

माखनलाल चतुर्वेदी को लोग ‘पंडित जी‘ कहकर भी पुकारा करते थे। अगर पंडित जी के जन्म की बात करे तो इनका जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बाबई में हुआ था। इनको पंडित जी, इनके ज्ञान के भंडार और रचनाओं के लिए बुलाया जाता था। माखनलाल चतुर्वेदी के पिता का नाम नन्द लाल चतुर्वेदी था व इनकी माता का नाम सुंदरी बाई था।

वहीं पंडित जी के वैवाहिक जीवन की बात करे तो इनकी शादी ग्यारसी बाई से हुई थी। माखनलाल चतुर्वेदी के पिता नन्दलाल चतुर्वेदी उन्ही के गाँव के एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे। और माखनलाल जी की भी प्रारंभिक शिक्षा वही से प्राप्त हुई थी।

पंडित जी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अन्य भाषाओ का भी अध्ययन शुरू किया जिसमें संस्कृत, बांग्ला, गुजराती एवं अंग्रेजी शामिल था। उन्होंने इन सारी भाषायो में ज्ञान प्राप्त किया। सभी भाषाओं एवं विषयों में अच्छी पकड़ होने के कारण माखनलाल चतुर्वेदी को बहुत ही कम आयु में अध्यापक बना दिया गया। उन्होंने महज 16 वर्ष की आयु में ही एक शिक्षक का दर्जा प्राप्त कर लिया। सन 1906 से लेकर 1910 तक उन्हीने अध्यापन का कार्य किया फिर वे इस क्षेत्र से अलग हो गए। वे अब एक अच्छे संपादक के रूप में अपने आप को देखना चाह रहे थे।

इसी क्रम में उन्हें 1913 में राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका कर्मवीर और प्रभा में संपादक का काम मिला। वे अपनी रूचि के अनुसार इन पत्रिकाओं में काम करने लगे साथ ही इनके मन में राष्ट्रीय आंदोलनो की भावना जगी। जिस कारण इन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा और जेल की प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी। लेकिन इन प्रताड़नाओ को वे अपनी रास्ते का कांटा नहीं बनने दिया और पुनः राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेने लगे।

Summary Table :-
जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. (मध्यप्रदेश)
मृत्यु 30 जनवरी 1968 ई. (भोपाल)
पिता नन्दलाल चतुर्वेदी
माता सुंदरी बाई
पत्नी ग्यारसी बाई
पुरस्कार साहित्य अकादमी, पद्मभूषण

माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय –

Makhanlal Chaturvedi

माखनलाल चतुर्वेदी इतने उम्दा रचनाकार थे जिनकी राष्ट्रीयता की भावना इनके पंक्तिओ में ही व्यक्त हो जाती थी। मुख्य रूप से पंडित जी अपनी रचना राष्ट्रीय भवनाओं में ही करते थे। जिसमें त्याग, समर्पण की भावना, त्याग की भावना नजर आती थी।

इनके द्वारा रचित कविताएं उन लोगो को प्रभावित करती थी जों देश के लिए मर मिटने का भाव रखते थे। साथ ही ऐसे व्यक्ति जों अपने देश से बहुत प्रेम करते थे वे भी इनकी कविताओं की पंक्तिओ से बहुत प्रभावित हुए।

इनकी रचनाओं को देखते हुए सन् 1943 में इन्हे साहित्य सम्मेलन (अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन) का अध्यक्ष बनाया गया। यें अंग्रेजी शासन की क्रूरता को अपने जन्म के बाद से ही देख रहे थे और इन्ही परिस्थितियों ने माखनलाल चतुर्वेदी को एक क्रन्तिकारी कवि बना दिया। वे खुद तो स्वतंत्रता के लिए लड़ ही रहे थे साथ ही अपने पंक्तियों से लोगो में भी यें भाव उजागर कर रहे थे।

राष्ट्रीय आंदोलन में माखनलाल चतुर्वेदी का प्रवेश –

जैसा की ऊपर बताया गया है की चतुर्वेदी जी एक क्रन्तिकारी कवि थे इसीलिए इन्होने बड़े बड़े राष्ट्रीय आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। सितम्बर 1920 में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हुए पहले जन आंदोलन ‘असहयोग आंदोलन’ में चतुर्वेदी जी ने भाग लिया। और इसमें भाग लेने के कारण इन्हे जेल भी जाना पड़ा। इसके बाद अगस्त 1942 में हुए ‘भारत छोडो’ आंदोलन में भी माखनलाल चतुर्वेदी ने भाग लिया था।

माखनलाल चतुर्वेदी को मिले सम्मान – (Makhanlal Chaturvedi Awards)
  • 1955 में साहित्य अकादमी अवार्ड जीतने वाले प्रथम व्यक्ति बने माखनलाल चतुर्वेदी।
  • माखनलाल चतुर्वेदी ने 1959 में सागर यूनिवर्सिटी से डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त की।
  • 1963 में भारत सरकार द्वारा पंडित जी को पद्मभूषण पुरस्कार दिया गया।
माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएं –
  • हिम तरंगिणी (Him Tarangini)
  • बीजुरी (Bijuri)
  • युग चार (Yug Chaar)
  • मरण ज्वार (Maran Jwar)
  • साहित्य के देवता (Sahitya ke Devta)
  • काजल (Kajal) इत्यादि।
माखनलाल चतुर्वेदी की मृत्यु –

भारत के प्रख्यात और क्रन्तिकारी कवि माखनलाल चतुर्वेदी का निधन 79 वर्ष की आयु में 30 जनवरी 1968 ई. हुआ। इनका निधन भारत के लिए अपूर्णीय क्षति है जिसकी भरपाई करना कतई संभव नहीं है।

Frequently Ask Questions (FAQS)

Q1. माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब और कहाँ हुआ?

➨ प्रख्यात रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. में होशंगाबाद मध्यप्रदेश में हुआ।

Q2. माखनलाल चतुर्वेदी की मृत्यु कब हुई?

➨ माखनलाल चतुर्वेदी जी की मृत्यु 79 वर्ष की उम्र में 30 जनवरी 1968 ई. में हुई।

Q3. माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता कौन सी है?

➨ माखनलाल चतुर्वेदी की कुछ कविताएं – बिजुरी, काजल, मरण ज्वार, युग चार इत्यादि है।

Q4. माखनलाल चतुर्वेदी की अत्यंत प्रसिद्ध रचना कौन सी है?

➨ इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ इस प्रकार है – हिमकिरीटिनी, हिम तरंगिणी, युग चारण, समर्पण, मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूंजे धरा, बीजुरी काजल आँज रही।

Q5. माखनलाल चतुर्वेदी को को कौन कौन पुरस्कार मिला?

➨ माखनलाल चतुर्वेदी जी को 1955 में साहित्य अकादमी पुरस्कार व 1963 में पद्मभूषण पुरस्कार दिया गया था।

Conclusion (निष्कर्ष)

मखलाल चतुर्वेदी उन छायावादी कवियों में से एक थे जिनकी रचना हर समय लोगो को प्रभावित करती रही है। इस लेख में हमने आपको माखनलाल चतुर्वेदी की जीवनी (Makhanlal Chaturvedi Biography in Hindi) के बारे में बताया। आशा करते आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी अच्छी लगी होगी।